अदभुद है कुंभलगढ़ स्तिथ सूरज कुंड

सुरज कुंड
सुरज कुंड

जी हां सूरज कुंड एक ऐसा स्थान हैं जिसके तथ्य जानकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां पर मौजूद कुण्ड जिसकी गहराई आज तक कोई नाप नहीं सका। ओर अकाल से अकाल में भी इस कुण्ड में पानी कभी सुखता नहीं है। लोग कहते हैं ये कुण्ड महाभारत काल का है। जंगल में पहाड़ियों के बीच में यह कुण्ड मोजूद है। यहां से थोडी दूर लगभग 1 किलोमीटर आगे एक बडा पत्थर है, जिसपर भैंसें के निशान हैं। कहा जाता की इस पत्थर पर आमज माताजी ने भैंसें को पछाड़ा था जिससे ये निशान बनें हैं। यही से आधा किलोमीटर दूर मा़ंडया भेवड हैं जहां पर आमज माताजी का स्थान है।
सुरज कुंड
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यहां दूर दूर से लोग आते है और प्रति दिन यहां 100 से 200 लोगों का भोजन बनता है। यहां आने जाने के लिए कोई सड़क या यातायात सुविधा न होते हुए भी कोई यहां से भूखा वापस नहीं आता।
सुरज कुण्ड जाने के लिए 2 रास्ते है। केलवाड़ा से गवार गांव होते हुए जा सकते हैं, और मजेरा गांव से भी जा सकते हैं। मज़ेर से लगभग 3 किलोमीटर तक मोटर साइकिल या फोर व्हीलर से जा सकते हैं। वहां पर पार्किंग स्थल बना हुआ है गाड़ी रखने के लिए। उसके बाद 4 किलोमीटर पेदल चलकर जाना पड़ता है। कोई भी सूरज कुंड जानेवाला रास्ता न भूले इसलिए पूरे रास्ते जगह जगह पर ॐ के निशान बनाए हुए हैं, जिससे रास्ता भटकने की कोई संभावना नहीं है।
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वहां के स्थनीय लोग तो रात्रि को भी जाते हैं ओर वहीं पर भजन कीर्तन करते हैं। गुरु पूर्णिमा को भी वहां सत्संग होती है, लेकिन यदि आप दुर से आए हैं ओर अंजान है, तो रात्रि के समय जाना ठीक नहीं है। रास्ते में गना जंगल पड़ता है, ओर जंगली जानवरों का भी खतरा रहता है। रात के समय रास्ता भटक गए तो पूरी रात जंगल में गुमते रह जाएंगे पर रास्ता नहीं मिलेगा। तो कृपा करके रात के समय ना जाए तो ही अच्छा है, यदि आपके साथ कोई जानकर ना हो तो। पर सूरज कुंड एक बार जरुर जाए आपको आनंद आ जाएगा। मेडिटेशन करने के लिए भी यह बहुत अच्छी जगह है।
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लेकिन एक खाने पीने की चीजें साथ में रखें। वैसे तो वहां पर खाना रहता है पर हम यहां से जा रहें है तो कुछ तो लेकर जाना चाहिए ताकि हमें भी वहां का भोजन करने में असजता न हो ओर अच्छा महसूस हो।

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