जिंदगी में सफल होने के लिए क्या करें ॽ

Safalta keise hasil kare

सफलता की परिभाषा क्या है ॽ
हर कोई यही चाहता है कि वो जिंदगी में सफल हो। लेकिन दुनिया में ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जो सोचते हैं कि पैसे कमाना ही सफलता है। जिसके लिए इंसान अपने घर, परिवार, समाज ओर बच्चों की तरफ ध्यान ही नहीं देता है। लेकिन हमें यह समझ लेना चाहिए कि पैसा इंसान की जिंदगी में उतने ही मायने रखता है जितना कि एक गाड़ी में पैट्रोल। यदि गाड़ी में हम उतना पैट्रोल भर देते हैं जितना कि हमें मंजिल तक पहुंचने के लिए चाहिए। उसके बाद हमें यह सोचने कि जरूरत है, कि एक दो ड्रम पैट्रोल और गाड़ी में भर कर रखने की बजाय गाड़ी के ब्रेक, गेर, रेस, ओर स्टेरींग पर भी ध्यान देना है। वरना गाड़ी कहीं ठोक दी तो उसी पैट्रोल से हम जल जाएंगे। बस यही बात इंसान की जिंदगी पर भी लागू होती है। हमें उस हर चीज पर ध्यान देना है जो हमारे लिए उतनी ही जरूरी है जितना कि पैसा। मेरे कहने का मतलब यह नहीं कि आप पैसा नहीं कमाए। बहुत पैसा कमाए पर अपनी जिंदगी का बेलेन्स इस प्रकार बनाए कि जिंदगी के हर पारूप में आप सफल होवे। इसी को कहते हैं सफलता।
यदि इंसान खूब पैसा कमाये ओर उसके बच्चों को सही संस्कार ना मिले तो। आए दिन कोई न कोई गलत काम करते हो समाज की परवाह किए बिना तो। यदि बच्चे नशेड़ी ओर चर्सी बन जाए तो। फिर ये पैसा किस काम का। यही है अधूरी सफलता।
यदि इंसान खूब पैसा कमाये ओर अपनी पत्नी के साथ अच्छे संबंध ना हो तो। पती किसी ओर के साथ संबंध बनाता हो ओर पत्नी किसी ओर के साथ संबंध बनाती हो तो। फिर ये पैसा किस काम का, क्योंकि आपके घर में प्यार तो है ही नहीं। यही है अधूरी सफलता।
यदि इंसान खूब पैसा कमाये ओर उसके मां-बाप की देखभाल ना करे और उनकी सेवा न करे तो। यदि आपके माता पिता अपने ही घर में खुद को लाचार और बेबस समझे, तो वो पैसा किस काम का। यही है अधूरी सफलता।
यदि इंसान खूब पैसा कमाये ओर उसके परिवार के लिए कभी काम न आए। अपने भाई बहन के लिए या चचेरे भाई बहनों के लिए कभी भी कुछ नहीं कर सके तो वो पैसा किस काम का। यही है अधूरी सफलता।
Safal hone ke liye Kya kare

इंसान को जीवन में कितने किरदार निभाने होते हैंॽ
इंसान को जीवन में कई सारे किरदार निभाने होते हैं। पर उनमें से मुख्य ओर सबसे आवश्यक किरदार होते हैं उनके बारे में मैं विस्तार से बताना चाहता हूँ।
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  1. एक अच्छा ओर आदर्श बेटा या बेटी। आदर्श बेटा वो बन सकता है जो अपने माता पिता का आदर करता हो। अपनी इच्छाऔं ओर जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें मजबूर करने की बजाय उन्हें मनाता हो। आखिर माता पिता भी तो अपने बच्चों की इच्छाएं ओर जरूरतें ही पुुुुरी करना चाहते हैं। बस हमें इतना ही समझना है कि वो किस तरह से करना चाह रहे हैंं। हमें उनकी इच्छाऔं को नहीं मारना चाहिए। ओर समाज में उनकी बनाई हुई इज्जत को लाचन या दाग लगाए बिना बनाए रखना है। अपने माता पिता को कभी मत भुलना क्योंकि आधी रोटी खाकर भी वो दिन गुजार देते हैं ताकि हम भूखे ना रहेंं। याद रहे जो इंसान अपने निर्माताओं को भूल जाते हैं वो इस दुनिया के सबसे बड़े धोखेबाज ओर एहसान फ़रामोश होते हैं। जो अपने माता पिता के नहीं हो सके वो किसके हो सकते हैं।
  2. एक आदर्श भाई या बहन। आदर्श भाई या बहन बनने के लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना बस अपने बचपन के वो दिन याद रखने हैंं। जब हमारे भाई या बहन को कोई नुकसान पहुंचाता तो हमें कैसा लगता था। शादी हो जाने तक तो ठीक, पर जैसे ही शादी हो जाती है उसके कुछ ही साालों बाद कितने बदल जाते हैंं। शादी से पहले जब हम किसी चीज पर हक जमाते थे तो कहते थे कि यह हमारा है। लेकिन शादी के बाद हमारा वाले शब्द की जगह मेेेरा ओर तुम्हारा क्यू आ जाता है।याद रहेे भाई से कभी भी कुछ लेने की चाह रखने के बजाय देेेने कि रखो। ताकि उसके मन में भी यही भाव रहे आपके प्रति। 
  3.  एक आदर्श पति या पत्नी। एक आदर्श पति या पत्नी को सबसे पहले तो एक दूसरे के प्रति वफादारी रखनी चाहिए। पति की कामयाबी के लिए एक समजदार पत्नी का साथ होना बहुत जरूरी है। यदि पत्नी अपने घर को साफ सुथरा रखती हो तो घर में कभी दरिद्रता नहीं आती और घर में खुशहाली रहती है। यदि पत्नी मेहमानों और रिश्तेदारों का आदर और मान मनवार अच्छे से करती हो तो ये पति को बहुत अच्छा लगता है जिससे पति-पत्नी के बीच प्रेम बढता है। और पति को अपनी पत्नी का आदर करना चाहिए और उसकी जरूरतों को पूरा करना चाहिए।
  4.  एक आदर्श पिता या माँ। वैसे तो माता पिता अपने बच्चों का भला हि सोचते हैं, पर उन्हें उस वक्त आजादी से अपना केरियर चुनने दे जब वो १०वीं  के बाद चुनना चाहते हो। आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वो क्या करना चाहते हैं। इसकी बजाय ऐसा नहीं कि आप अपनी मर्जी उन पर थोप दे। ऐसा करने से वो अपनी खासियत ओर हुनर भी खो देते हैं, और अपना केरियर चुनने में गुमराह हो जाते हैं। माता पिता के थोपे हुए क्षेत्र में उन्हें जब कठिनाईओ का सामना करना पड़ता है तब वो अपनी काबिलियत पर शक करने लगते हैं क्योंकि वे इस काम के लिए बने ही नहीं हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि वो कुछ करने के काबिल ही नहीं हैंं। क्योंकि वो जिस काम में होशियार है वो तो वो कर ही नहीं रहे हैं। ओर जब वो हर तरफ से निराश हो जाता है तब अपने हुनर पर भी भरोसा करना छोड़ देता है। उसे ऐसा लगता है कि वो जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता। इसी लिए अपने बच्चों को अपनी पसंद का केरियर चुनने दे।
  5. एक आदर्श नागरिक व इंसान, जो समाज एवं समस्त जीवों के प्रति सदभावना अथवा सम्मान रखता हो। ओर अपने देश के हित में सोचता हो न कि अपने फायदे के लिए देश से गद्दारी करे।



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